बड़ी कुर्सी पर बैठने से कर दिया था मना ऐसे थे कलाम साहब | APJ Abdul Kalam Fact, Teaching

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन प्रेरणा से औतप्रोत रहा है। आज हम कलाम साहब की जीवन की ऐसी घटना (Dr APJ Abdul Kalam Fact) के बारे में बताने जा रहे है जो बहुत ही प्रेरणादायक है –

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भारत का ऐसा कौन ही सफल व्यक्ति होगा जो डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श ना मानता हो। डॉ कलाम जब तक जीवित रहे तब तक भारत माता की सेवा में लगे रहे। उनका एक ही सपना था कि भारत देश शक्ति संपन्न हो तथा दुनिया में सबसे अधिक तरक्की करें।

भारत को अग्रणी बनाने के लिए स्वर्गीय डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने परमाणु शक्ति पर भी बहुत जोर दिया तथा भारत को टेक्नोलॉजी युग बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के काम तो बहुत बड़े-बड़े थे,लेकिन उनका जीवन बहुत ही सरल था। उनकी सरलता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जब वे भारत के 11 वे राष्ट्रपति थे तब उनके पास पहनने के लिए मुश्किल से 3 से 4 जोड़ी कपड़े थे।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की महानता की एक घटना बहुत ही प्रसिद्ध है। कलाम साहब को एक जगह भाषण देना था जहां पर उनको उनके द्वारा दिए गए योगदान के लिए सम्मानित भी करना था।

जब एपीजे अब्दुल कलाम स्टेज पर आए तो वहां पर मौजूद सभी अतिथियों तथा कलाम साहब को बैठने के लिए कहा गया लेकिन कलाम सर ने बैठने से मना कर दिया।

सभी लोग अचंभित रह गए कि कलाम सर बैठना क्यों नहीं चाहते हैं! कलाम सर ने कहा कि मैं ऐसी कुर्सी पर नहीं बैठ सकता, जो मुझे सबसे अलग बनाti हो तथा मुझे सबसे ऊंचा दिखाती हो।

दरअसल बात यह थी कि डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की कुर्सी अन्य सभी अतिथियों से अलग थी। उनकी कुर्सी थोड़ी बड़ी थी तथा और कुर्सियों से ज्यादा अच्छी व अलग थी। जिसे देखकर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को अच्छा नहीं लगा। उनका मानना था कि सभी लोग समान है तथा सभी को समान सम्मान मिलना चाहिए।

यदि मैं एक बड़ी, अच्छी व सुन्दर कुर्सी पर बैठता हूं तो इसका मतलब होगा कि मेरे आस-पास बैठे हुए लोग मुझसे कम है जो कि अच्छा नहीं है।

सभी की अपनी-अपनी प्रतिभाएं है तथा सभी का इस देश में अपना अपना योगदान है। जब उन्हें सभी के जैसी कुर्सी बैठने के लिए दी गयी तब कही जाकर कलाम साहब बैठे थे।

इस घटना से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम कितने महान थे।

हमें डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी को पढ़ना चाहिए तथा अपने आसपास के लोगों बच्चों को उनके बारे में बताना चाहिए। ताकि हमारा समाज भी उनसे प्रभावित होकर भारत देश की तरक्की में योगदान दें।

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