महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय, महत्वपूर्ण घटनाये | Maharishi Valmiki Biography in Hindi

महर्षि वाल्मीकि जीवन परिचय (Maharishi Valmiki Biography in Hindi), जयंती, रामायण, जन्म, कार्य,निबंध, महत्व, श्लोक (Maharishi Valmiki, Ramayana, Valmiki Jayanti, Shloka, Story, Information, Essay, Biography in Hindi)

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लव और कुश को धनुर्विद्या सिखाते हुए महर्षि वाल्मीकि जी

भारत हमेशा से ही महान लोगो की भूमि रही हैं यहाँ पर कई महान पुरुषों जैसे – श्री राम, कृष्ण, हनुमान, जनक, भरत, महर्षि दधिची आदि ने जन्म लिया हैं। आज हम जानने वाले हैं ऐसे ही एक महापुरुष महर्षि वाल्मीकि के बारे में। हम सभी जानते हैं कि महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण की रचना की हैं तथा भगवान श्री राम के जीवन को जन-जन व घर-घर रक् पहुँचाया हैं। ऋषि वाल्मीकि का जीवन बड़ा ही शिक्षाप्रद व रोचक रहा हैं । आइये जानते भारत इतिहास के इस महापुरुष के बारे में व उनके जीवन के अनमोल विचारों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयतन करते हैं। Maharishi Valmiki Biography in Hindi

महर्षि वाल्मीकि जीवन संक्षेप में (Introduction)

नाम महर्षि वाल्मीकि
वास्तविक नाम रत्नाकर
पिता जी का नाम प्रचेता
माता जी का नामचर्षणी
जन्म कब हुआ?भगवान राम के काल में (त्रेतायुग)
व्यवसाय महाकवि
प्रमुख रचना रामायण
वाल्मीकि जी का जन्म कहाँ हुआ था?भारत देश में

महर्षि वाल्मीकि का प्रारंभिक जीवन (Early Life)

ऐसा माना जाता हैं कि वाल्मीकि जी ने महर्षि कश्यप व अदिति के नौवे पुत्र प्रचेता की संतान के रूप में जन्म लिया था। इनकी माता का नाम चर्षणी व भ्राता का नाम भृगु था। वाल्मीकि जी का पालन-पोषण उनके असली माता-पिता प्रचेता व चर्षणी नहीं कर सके थे क्योंकि उन्हें बचपन में ही एक भील ने चुरा लिया था। भील के वाल्मीकि जी को चुरा कर ले जाने के कारण इनका पालन-पौषण भील प्रजाति में हुआ था। भीलों का प्रमुख कार्य लोगों से लूट-पाट करके अपना जीवन गुजारना था। भीलों में पले-बढे होने के कारण यह भी एक डाकू बने, इन्हें  इनके जब के नाम रत्नाकर डाकू से जाना जाता था।  

वाल्मीकि नाम कैसे पड़ा ?

महर्षि वाल्मीकि (उस समय के रत्नाकर) के वाल्मीकि बनने की कहानी बड़ी ही रोचक हैं। ऐसा माना जाता हैं कि भगवान नारद मुनि से भेट के बाद रत्नाकर बहुत समय तक तप करते रहे। इतने समय तक वह एक ही जगह बैठे तप करते रहे जिस कारण उनके ऊपर दीमकों ने अपनी बांबी बना ली थी। तपस्या ख़त्म होने पर वह बांबी (जिसे “वाल्मिक” भी कहते हैं।) तोड़कर बाहर आये, इसी बजह से इनका नाम वाल्मीकि पड़ा।

रामायण महाकाव्य लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली ?

वाल्मीकि, डाकू रत्नाकर का जीवन जी रहे थे, जिसका काम लोगो को मारना व उन्हें लूटना था। एक दिन भगवान नारद मुनि से मिलने के बाद, उनके द्वारा उसके काम के विषय में पूछे गए प्रश्नों ने रत्नाकर को उसके द्वारा किये गए पापों का अनुभव कराया। अपने पापों का आभास होने पर रत्नाकर को अपने द्वारा जीयी जा रही इस लूट-पाट की जिंदगी से घ्रणा होने लगी, तथा उन्होंने भगवान नारद से ज्ञान तक पहुँचने का मार्ग पूछा। नारद जी ने उन्हें राम नाम का जप करने का विचार दिया।

रत्नाकर, नारद जी के कहे अनुसार राम नाम का जाप करते रहे लेकिन भूलवश उन्होंने राम, राम राम कहने की बजाए मरा, मरा, मरा कहना शुरू कर दिया। ऐसा कहा जाता हैं कि भगवान राम का गलत नाम जपने के कारण इनकी काया बहुत दुर्बल हो गई व इनके ऊपर दीमकों ने अपनी बांबी (वाल्मिक) बना ली, शायद यही उनके द्वारा किये गए पापों की सजा थी। रत्नाकर की कठोर तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें रामायण महाकाव्य लिखने की प्रेरणा व सामर्थ्य प्रदान किया।

डाकू रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि बनने की शिक्षाप्रद कहानी (Story)

डाकू रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि बनने की कहानी बड़ी ही रोमांचित तथा शिक्षाप्रद हैं। एक बार नारद मुनि जी उसी जंगल से गुजर रहे थे जहाँ पर डाकू रत्नाकर लूट-पाट किया करते थे! नारद मुनि जी को रत्नाकर ने पकड़ लिया तथा उनसे उनका सामान लुटने व उन्हें मारने का प्रयतन करने लगा। तभी नारद जी ने रत्नाकर से पूछा – तुम इतना घ्रणित अपराध क्यों करते हो?

रत्नाकर – मैं अपने परिवार को पालने के लिया ऐसा करता हूँ।
नारद मुनि – हे रत्नाकर, जिस परिवार के लिए तुम इतना बड़ा पाप दिन प्रतिदिन कर रहे हो, क्या वह परिवार इस पाप कर्म में तुम्हारा भागीदार बनेगा ?
रत्नाकर – हाँ जरूर बनेगा
नारद मुनि – जाओ अपने परिवार से पूछ कर आओ, अगर तुम्हारा परिवार इस घ्रणित अपराध में तुम्हारा भागिदार बनने को तैयार होगा, तो मैं तुम्हे अपना सब कीमती सामान स्वयं दे दूँगा।

कहा जाता हैं कि इतना सुनकर डाकू रत्नाकर ने नारद मुनि जी को एक वृक्ष से बाँध दिया तथा अपने परिवार से प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए चला गया! रत्नाकर ने अपने परिवार से उनके द्वारा किया जा रहे पाप कर्म की सजा में भागीदार बनने की बात पूछी तो उन्होंने साफ़ माना कर दिया। अपने परिवार से ऐसा उत्तर पाकर रत्नाकर को बहुत आघात हुआ तथा वह दोड़कर पेड़ से बंधे नारद जी के पास पहुंचे। रत्नाकर ने नारद जी को मुक्त किया व उनसे अपने द्वारा किये गए पापों के लिए माफ़ी मांगी। रत्नाकर ने नारद जी से उनके द्वारा किये गए पापों से मुक्ति का मार्ग पूछा, तब नारद जी ने उन्हें “राम नाम” जपने का सुझाव दिया। राम नाम की कई वर्षो तक कठोर तपस्या के कारण डाकू रत्नाकर, महर्षि वाल्मीकि के रूप में परिवर्तित को गए व प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण की रचना की।

वाल्मीकि के मुहँ से निकला पहला श्लोक (Sanskrit first shloka)

ऐसा माना जाता हैं कि महर्षि वाल्मीकि जी गंगा नदी में स्नान करने जा रहे थे, उनके शिष्य भारद्वाज जी उनके कपडे पकडे हुए साथ थे। वही पर नदी का किनारे उन्होंने सारस के जोड़े को प्रेमालाप में मग्न पाया। वाल्मीकि जी और उनके शिष्य भारद्वाज जी उस पक्षी के जोड़े को देखकर बहुत प्रसन्न महसूस कर रहे थे, तभी अचानक कही से तीर आकर नर सारस को लग गया! तीर लगने की बजह से नर सारस की तभी मौत हो गई, अपने साथी के वियोग में मादा सारस की भी मृत्यु हो गई। ऐसे घटना अपनी आँखों के सामने देखकर वाल्मीकि जी बहुत दुखी हो गए एवं उन्होंने क्रोध के भाव में सारस के जोड़े को मारने वाले शिकारी को श्राप दे दिया।

उन्होंने जो यह श्राप दिया था यह एक श्लोक ही था जो इस प्रकार हैं –

” मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्॥”

इस श्लोक का अर्थ था हे शिकारी, तूने प्रेमालाप में मग्न सारस पक्षी को मारा हैं, इसलिए तुझे अपने पुरे जीवन-काल में कभी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं होगी

वाल्मीकि जी के मुहँ से दुःख में निकला यह श्लोक संसार का सबसे पहला संस्कृत श्लोक भी कहा जाता हैं।

वाल्मीकि जयंती कब मनाई जाती हैं (Valmiki Jayanti 2021 date)

हिन्दू धर्म कैलेंडर के अनुसार वाल्मीकि जी का जन्म आश्विन मास की शरद पूर्णिमा को हुआ था। इसी दिन को हिन्दू धर्म कैलेंडर में वाल्मीकि जयंती के नाम से जाना जाता हैं। इस साल वाल्मीकि जयंती 31 अक्टूबर, 2021 को मनाई जाएगी।

वाल्मीकि जयंती महोत्सव (Maharishi Valmiki Jayanti Celebration)

महर्षि वाल्मीकि की जयंती को पुरे भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता हैं, खासकर उत्तर भारत में इस दिन की बहुत महत्वता हैं।

• वाल्मीकि जयंती के दिवस कई जगह शोभायात्रा निकली जाती हैं, लोग बेहद ही सुन्दर ढंग से बग्गियो को सजाते हैं।
• इस दिन आपको जगह-जगह भंडारे भी आयोजित होंते दिखाई दे जायेंगे
• फल, स्वादिष्ट पकवानों आदि का बितरण भी किया जाता हैं।
• वाल्मीकि जयंती के दिन काफी लोग रामायण पढना भी पसंद करते हैं।
• बच्चो को महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन के बारे में बताकर अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया जाता हैं।

हिन्दू धर्म में वाल्मीकि जयंती का महत्व बहुत अधिक माना जाता हैं, उनका पूर्ण जीवन कुछ ना कुछ सिखाने के लिए सभी को प्रेरित करता हैं।

वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण से जुड़े रोचक तथ्य (Ramayana’s Facts) –

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महा काव्य रामायण पूरी तरह संस्कृत में लिखा हुआ हैं। इसमें उन्होंने मर्यादा पुरुषोतत्म् श्री राम जी के जन्म से लेकर मरण तक का वर्णन किया हैं। इस महाकाव्य को चौबीस हजार श्लोक के रूप में लिखा हुआ हैं, जिसके कारण इसे पढने के साथ आसानी से गया भी जा सकता हैं। रामायण कुल मिलाकर 480,002 शब्दों में लिखी गई हैं

FAQ (सवाल-जबाब) –

सवाल – रामायण में कितनो श्लोको का वर्णन हैं?

जबाब – रामायण में 24 हजार श्लोक लिखे हुए हैं।

सवाल – महर्षि वाल्मीकि कौन थे?

जबाब – महर्षि वाल्मीकि श्री राम के जीवन पर रचित महाकाव्य रामायण के रचियता थे।

सवाल – वाल्मीकि जी का वास्तविक नाम क्या था?

जबाब – वाल्मीकि जी का वास्तविक नाम “रत्नाकर” था।

सवाल – महर्षि वाल्मीकि का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

जबाब – वाल्मीकि जी का जन्म भगवान राम के काल में आश्विन मास की पूर्णिमा अर्थात शरद पूर्णिमा को हुआ था।

आज हमने क्या जाना ?

आज हमने Maharishi Valmiki Biography in Hindi की इस पोस्ट में महान ऋषि वाल्मीकि जी के जीवन के बारे में जाना। वाल्मीकि जी के जीवन से हमे सीखने को मिलता हैं कि कैसे की भी इन्सान बुराई से निकलकर अच्छाई को अपनाकर महान कार्य कर सकता हैं।

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