मिल्खा सिंह का जीवन परिचय | Milkha Singh Biography in Hindi

मिल्खा सिंह का जीवन परिचय (Milkha Singh Biography in Hindi) जन्म, उपलब्धियाँ, पत्नी, बच्चे, सम्मान, रैंक, उपाधि (Milkha Singh Jivani, Achievement, Wife, Children, Rank in Hindi)

milkha-singh-biography-hindi-मिल्खा-सिंह-जीवनी
मिल्खा सिंह – Milkha Singh Biography in Hindi

ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो लाख मुश्किलों के बाबजूद ऐसे रिकॉर्ड कायम कर जाते हैं जिन्हें तोड़ने की दुनिया बस सपने देखती रह जाती हैं। इस संसार में बहुत से खेल हैं जैसे क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, दोड़ आदि। जब हम क्रिकेट की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में सबसे पहला नामा सचिन तेंदुलकर आता हैं, एवं फुटबॉल की बात करते है तो क्रिस्टियानो रोनाल्डो। ऐसे ही जब हम भारत में दोड़ (रेसिंग) की बात करते हैं तो सबसे पहला नाम दिमाग में आता हैं वो हैं “मिल्खा सिंह” आज यह महान शख्सियत हमारे बीच नहीं हैं पर हमे इनके जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं। चलिए जानते हैं मिल्खा सिंह जी के संघर्षपूर्ण जीवन के बारे में –

मिल्खा सिंह का जीवन संक्षेप में (Brief Introduction)

नाममिल्खा सिंह
प्रसिद्ध हैं फ्लाइंग सिख के नाम से
जन्म20 नवम्बर, 1929
म्र्त्यु18 जून, 2021
जन्म स्थानमुज़फ्फरगढ़, पंजाब राज्य (पाकिस्तान )
राष्ट्रीयताभारतीय
पत्नीनिर्मल कौर
बच्चेतीन (2 बेटियाँ, 1 बेटा)
लम्बाई1.83 मीटर
बजनलगभग 70 kg
सेवाभारतीय सेना
रैंकमानद कप्तान
सम्मानपद्मश्री

कौन हैं मिल्खा सिंह (Milkha Singh)

मिल्खा सिंह को 400 मीटर दोड़ के धावक के रूप में दुनिया भर में जाना जाता हैं। मिल्खा सिंह भारत के अबतक के एकमात्र ऐसे एथलीट हैं जिन्होंने एशियन गेम्स व कॉमनवेल्थ गेम्स दोनों में चार सौ मीटर रेस में स्वर्ण पदक जीता था । इन्होने 1956 में मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया) में हुए ग्रीष्म ओलंपिक्स, 1960 में रोम में हुए ग्रीष्म ओलंपिक्स, 1964 में टोक्यो (जापान) में हुए ग्रीष्म ओलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

मिल्खा सिंह जी को उनके भारत देश को गौरान्वित करने के लिए भारत सरकार द्वारा पदम् श्री से भी सम्मानित किया गया हैं। इन्होने ओलंपिक्स में 400 मीटर रेस 45.73 सेकंड में पूरी की थी जो किसी भी अन्य भारतीय एथलीट द्वारा लगभग 40 वर्ष तक तोड़ा नहीं जा सका था।

मिल्खा सिंह का प्रारंभिक जीवन (Early Life)

मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवम्बर, सन् 1929 को ब्रिटिश शासित भारत के पंजाब राज्य के मुज़फ्फरगढ़ शहर (अब मुज़फ्फरगढ़ पाकिस्तान का जिला हैं) में हुआ था। हिन्दुस्तान के बंटबारे के समय मिल्खा सिंह अनाथ हो गये थे क्योंकि इनके माँ-बाप व भाई-बहनों का क़त्ल मुस्लिम भीड़ द्वारा कर दिया गया था। किसी तरह अपनी जान बचाकर ये हिंदुस्तान आने में कामयाब हुए, तथा कुछ समय दिल्ली में अपनी शादीशुदा बहन ईश्वर के यहाँ रुके।

मिल्खा सिंह ने सरणार्थी कैंपो में भी काफी समय बिताया तथा अपना पेट भरने के लिए चोटी-मोटी चोरी भी करने लगे। इनके एक पहचान वाले मलखान ने इन्हें इंडियन आर्मी में शामिल होने के लिए मनाया। अपने चौथे प्रयास में इन्होने भारतीय सेना में शामिल होने में कामयाबी पाई।

पारिवारिक जीवन (Personal Life)

मिल्खा सिंह उनकी पत्नी निर्मल कौर से 1955 में श्रीलंका में मिले थे। निर्मल कौर उस समय भारतीय वॉलीबॉल टीम की कप्तान हुआ करती थी। दोनों ने आपसी सहयोग से 1962 में शादी कर ली, इनके तीन बच्चे हुए। जिनमे 2 लड़की एवं एक लड़का हैं , इनके पुत्र जीव मिल्खा सिंह हैं जिन्हें पुरे भारत में गोल्फ खेलने के लिए जाना जाता हैं।

👉 यह भी पढ़े > आशा पारेख का जीवन परिचय व टॉप फिल्में

मिल्खा सिंह की उपलब्धियाँ (Achievements)

मिल्खा सिंह जी का जीवन भले ही संघर्ष से भरा रहा हो लेकिन इन्होने अपनी मुश्किलों के अपने जीवन के उपलब्धियों के बीच नहीं आने दिया। इन्होने अपने देश भारत को कई बार पुरे संसार के सामने गोरान्वित किया हैं। आइये जानते हैं मिल्खा सिंह जी की अभूतपूर्व उपलब्धियों के बारे में –

  • मिल्खा सिंह ने भारत का कई ग्रीष्म ओलंपिक्स जैसे मेलबोर्न, रोम, टोक्यो आदि में प्रतिनिधित्व किया हैं।
  • सन् 1958 के एशियन गेम्स में मिल्खा सिंह ने 200 मीटर दोड़ में हिंदुस्तान को स्वर्ण पदक दिलाया
  • सन् 1958 के ही एशियाई गेम्स में इन्होने भारत को दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया जो इन्हें 400 मीटर रेस को जीतने के लिए मिला था।
  • मिल्खा सिंह ने सन्1958 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 440 यार्ड में प्रथम स्थान पर आकर भारत को स्वर्ण पदक दिलने में कामयाबी हासिल की।
  • सन् 1962 में हुए एशियन गेम्स में इस बार इन्होने 4*400 मीटर में हिंदुस्तान को स्वर्ण पदक दिलाकर गोरान्वित किया

अंतर्राष्टीय स्तर पर जीते पदक –

कैटेगरीप्रतियोगितापदक
200 मीटर1958 एशियन गेम्सस्वर्ण पदक
400 मीटर1958 एशियन गेम्सस्वर्ण पदक
440 यार्ड1958 कॉमनवेल्थ गेम्सस्वर्ण पदक
400 मीटर1962 एशियन गेम्सस्वर्ण पदक
4×400 मीटर रिले1962 एशियन गेम्सस्वर्ण पदक

राष्ट्रीय स्तर पर जीते पदक –

कैटेगरीप्रतियोगितापदक
200 मीटरकटक राष्ट्रीय गेम्सस्वर्ण पदक
400 मीटरकटक राष्ट्रीय गेम्सस्वर्ण पदक
400 मीटर1964 कलकत्ता राष्ट्रीय गेम्सरजत पदक

मिल्खा सिंह का नाम “द फ्लाइंग सिख” कैसे पड़ा?

कहा जाता हैं कि भारत व पाकिस्तान ने विभाजन का दर्द भुलाने के लिए एक दोड़ प्रतियोगिता रखने की सोची, ताकि खेलो की बजह से दोनों देशो के लोग करीब आ सके। भारत इस रेस को हर हाल में जीतना चाहता था, इसके लिए उन्हें सबसे उपुक्त मिल्खा सिंह ही लगे। मिल्खा सिंह से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने मन कर दिया क्योंकि वह पाकिस्तान जाकर अपने पुराने जख्मो को याद नहीं करना चाहते थे।

उस समय के भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने मिल्खा सिंह को दोड़ के लिए मनाया, तब कही जाकर मिल्खा रेस के लिए तैयार हुए। मिल्खा सिंह को पाकिस्तान के सबसे तेज धावक अब्दुल खालिक से मुकाबला करना था।

इस दोड़ को देखने वालो ने बताया था कि उस दिन मिल्खा सिंह ऐसे भागे जैसे उड़ रहे हो, तथा अपने पाकिस्तानी प्रतिद्वंधी अब्दुल खालिक को बहुत पीछे छोड़ दिया। मिल्खा सिंह की ऐसे तेजी को देखते हुए ही उस समय के पाकिस्तानी जनरल अयूब खान ने उन्हें रेस पूरी होने के बाद “द फ्लाइंग सिख” के नाम से बुलाया। बस तभी से मिल्खा सिंह को “फ्लाइंग सिख” के नाम से बुलाया जाने लगा।

मिल्खा सिंह पर बनी फ़िल्म (Movie)

मिल्खा सिंह ने अपने देश के लिए इतना बड़ा काम किया था, कई बार भारत का सिर दुनिया के सामने ऊँचा उठाया था, तो उनके जीवन पर फ़िल्म बननी तो जरूरी थी। मिल्खा सिंह जी के जीवन पर बनी इस फ़िल्म का नाम हैं “भाग मिल्खा भाग”, जिसमे बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता फरहान अख्तर ने उनका किरदार निभाया था। यह फ़िल्म 12 जुलाई, सन् 2013 को रिलीज़ हुई थी तथा इसे बेहद पसंद किया गया था। यदि आपने यह फ़िल्म अभी तक नहीं देखी हैं तो देख लीजिये क्योंकि आपको इस फ़िल्म में मिल्खा सिंह के संघर्ष भरे जीवन को देखने के साथ कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलेगी।

आज हमने क्या जाना ?

आज हमने मिल्खा सिंह की जीवनी (Milkha Singh Biography in Hindi) के इस ब्लॉग में मिल्खा सिंह के कठिन जीवन व उनकी आश्चर्यजनक उपलब्धियों के बारे में जाना। इनका जीवन हर उस एक इन्सान के लिए प्रेरणा श्रौत हैं जो ज़िन्दगी से हार कर बैठा हैं तथा आगे बढ़ने के लिए कोई मार्ग नहीं खोज पा रहा हैं।

हमे आशा हैं की आपको मिल्खा सिंह का जीवन परिचय बेहद पसंद आया होगा। ऐसे ही और पोस्ट पढने के लिए हमारे ब्लॉग पर आते रहे एवं हमे कमेंट करके भी बताए कि आपको किस टॉपिक पर पोस्ट चाहिए।

अन्य पोस्ट पढ़े –

Leave a Comment