एक्स-रे क्या है, इससे होने वाले फायदे एवं हानि | X-ray in Hindi

एक्स-रे क्या है (X-ray in Hindi) एक्स रे करने के फायदे, सावधानियाँ, प्रकार, हानि (X-Ray Kya Hai, Types of x-ray in Hindi, Benefits, Precautions of x ray in Hindi)

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एक्स-रे क्या है – X-ray in Hindi

चिकित्सा क्षेत्र में एक समय हुआ करता था जब वैद्य ही सभी बीमारियों की जाँच-परख करते थे एवं उसका इलाज करते थे। उस समय कोई मशीन नहीं थी जिनसे बीमारी का सही ढंग से पता चल पाए। फिर भी वैद्य अपनी काबिलियत के अनुसार नस व नाड़ीयो को देखकर उपचार करते लेकिन जैसे-जैसे रोग खतरनाक रूप लेते गए वैसे-वैसे हमारे वैद्य या चिकित्सको को मशीनों एवं तकनीक की आवश्यकता महसूस हुई

डॉक्टरो को महसूस हुआ कि कुछ ऐसा हो जिससे बिना शरीर को काटे टयूमर, कैंसर, टूटी हुई हड्डी, दिल की बीमारी, पथरी आदि का पता लगाया जा सके। ऐसी जरुरत को देखते हुए ही अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, एक्स-रे जैसी तकनीक विकसित हुई जिन्होंने रोग को पहचानना एवं उसका उपचार करना बहुत ही आसान बना दिया। आज हमे जानेंगे एक्स-रे क्या है तथा इसे कराते हुए और कराने के बाद क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए।

Table of Contents

एक्स-रे क्या है (X-ray Kya Hai)

एक्स-रे (X-ray) या एक्स-किरण एक प्रकार की विद्युत चुम्बकीय विकिरण होती है जो आसानी से किसी भी इन्सान चमड़ी में से गुजर जाती है इसलिए इसका उपयोग चिकित्सक द्वारा किया जाता है।

अगर बिल्कुल सरल शब्दों में बताया जाये तो एक्स-रे एक तकनीक है जिसके द्वारा हमारे शरीर के अंदरूनी अंगो की तस्वीर ली जाती है जिससे किस अंग में क्या बीमारी है इसका पता आसानी से चल जाता है।

एक्स-रे करने के लिए एक मशीन का उपयोग किया जाता है जिसे एक्स-रे मशीन कहते है। इसमें शरीर के उस हिस्से से एक्स-किरण को गुजारा जाता है जिसमे मरीज को समस्या है तथा तस्वीर ली जाती है। एक्स-राये कैसे काम करता है इसके बारे में हम नीचे विस्तार से बात करेंगे।

एक्स रे का इतिहास (History of X-ray in Hindi)

क्या आपको पता है एक्स-रे की खोज गलती से हुई थी? X किरणों की खोज करने वाले वैज्ञानिक कैथोड किरणों पर काम कर रहे थे, तभी 8 नवम्बर, 1895 को एक्स-किरण की खोज हुई।

विल्हेल्म कोनराड रंटजन जो जर्मनी के वुर्ट्‌सबर्ग विश्वविद्यालय में भौतिकी पढ़ाते थे वह कैथोड किरणों पर प्रयोग कर रहे थे। विल्हेल्म कोनराड रंटजन कैथोड रे नलिका (टयूब) पर कुछ परिक्षण कर रहे थे इस नलिका को उन्होंने काले रंग के मोटे कागज से ढक रखा था। जब उन्होंने इस नलिका से के कुछ दूर एक मेज पर उन्होंने बेरियम प्लेटीनो साइनाइड की प्लेट राखी थी जो उन्होंने चमकते दिखाई दी।

उन्होंने सोचा जब टयूब पूरी तरह से ढकी हुई है तो ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई किरण बाहार आ पाए। तब उन्होंने विश्वास हो गया कि कुछ किरणें है जो मोटे कागज के पार जा सकती है। क्योंकि उन्हें इन किरणों का नाम नहीं पता था इसलिए उन्होंने इसे अज्ञात किरणें (X-rays) नाम दिया इसलिए इन्हें एक्स-रे कहा जाता है।

विल्हेल्म रंटजन यही नहीं रुके, उन्होंने इन किरणों को शरीर पर टेस्ट करने का सोचा। इसी को देखते हुई उन्होंने 22 दिसंबर, 1895 सबसे पहले अपनी पत्नी बर्था के हाथ का X-Ray किया।

इनके सम्मान में जर्मन, जापानी, हंगरी, स्वीडिश, पोलिश, रूसी, तुर्की तथा हिब्रू आदि कई देशों की भाषाओं में एक्स किरणों को “रंटजन किरणें” के नाम से जाना जाता है। इस खोज के लिए इन्हें वर्ष 1901 के भौतिकी के “नॉबेल प्राइज” से सम्मानित किया गया।

एक्स-रे की फुल फॉर्म (X ray full form in Hindi)

X-Ray एक प्रकार की विद्युत चुम्बकीय विकिरण है जिसका फुल फॉर्म X-radiation है। चूँकि इन किरणों की खोज विल्हेल्म रंटजन ने की थी इसलिए उन्हें सम्मान में इन्हें “Röntgen rays” भी कहा जाता है।

एक्स-रे क्यों किया जाता है? (Uses of X-ray in Hindi)

जब तक एक्स-रे की खोज नहीं हुई थी तब तक किसी व्यक्ति के शरीर में पथरी, कैंसर आदि का पता लगाने के लिए शरीर के उस हिस्से में काट-छाट करनी पड़ती थी। इसका सीधा सा मतलब था जब तक मरीज को अपने शरीर में किसी भयाभय दिक्कत महसूस नहीं होती थी वह किसी डॉक्टर के पास अपनी चमड़ी को काटकर यह पता करने के लिए कि उसे क्या रोग है नहीं जायगा। ऐसी हर दिक्कत को दूर करने का काम किया एक्स-रे के अविष्कार ने।

अब यदि आपको शरीर में कोई भी समस्या महसूस होती है तो आप बिना किसी दर्द के एक्स-रे करवा सकते है एवं अपनी बीमारी का पता लगा सकते है। ऐसी कई सारी समस्या है जिनमे एक्स-रे का उपयोग किया जाता है जिनमे से कुछ है –

  • शरीर में पनप रहे किसी भी प्रकार के टयूमर का एक्स-रे करने से आसानी से पता लगाया जा सकता है एवं टयूमर को पहली स्टेज में ही खत्म किया जा सकता है।
  • टूटी हुई हड्डी की जाँच-पड़ताल करने के लिए इस तकनीक का बहुत उपयोग किया जाता है। इससे बिल्कुल सही पता चल जाता है कि हड्डी कहाँ से टूटी हुई है।
  • एक्स-रे की सहायता से कई प्रकार के इन्फेक्शन के पता लगाया जाता है जिनमे से एक इन्फेक्शन है निमोनिया (Pneumonia). यह फेफड़ो का एक इन्फेक्शन होता है जिसे सामान्यत: फेफड़ो की सूजन के नाम से जाना जाता है।
  • जोड़ो की सूजन मतलब गठिया का भी एक्स-रे करके आसानी से पता लगाया जा सकता है।
  • एक्स-रे की मदद से हम शुगामता से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या का पता लगा सकते है। यह हड्डियों की एक ऐसी समय होती है जिसमे हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है तथा हड्डियाँ कमजोर होने लगती है। बार-बार हड्डियों का टूटना या फ्रैक्चर होना भी ऑस्टियोपोरोसिस का एक संकेत हो सकता है।
  • कई लोगो को गुर्दे में दर्द होता है वे सोचते है यह क्यों हो रहा है जबकि उन्होंने कुछ गलत खाया भी नहीं होता। जब वे एक्स-रे कराते है तो उन्हें स्पष्ठ हो जाता है कि उनके गुर्दे में पथरी है।
  • कैंसर का पता लगाने के लिए भी यह एक बहुत ही बेहतरीन तकनीक है।
  • रक्त वाहिका में किसी प्रकार की रूकावट की समस्या को भी एक्स रे की सहायता से जाँचा जा सकता है।
  • अस्थमा तथा दिल सम्बन्धी समस्याओ में भी एक्स रे से काम लिए जाता है।

एक्स रे के और भी कई उपयोग है जो इसे एक बहुत ही कामयाब तकनीक के रूप में स्थापित करते है। अत: हम कह सकते है कि एक्स-रे ने हमारे चिकित्सा क्षेत्र की रूपरेखा को बदलने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

एक्स-रे के फायदे (Benefits of X-ray in Hindi)

एक्स-रे कराने के कई फायदे है जिस बजह से ये परिक्षण इतनी अधिक मात्र में होने लगे है। आइये डालते है एक नजर एक्स-रे कराने के लाभों पर –

  1. अंदरूनी रोगों का निदान करने के लिए कई टेस्ट मौजूद है जैसे एक्स-रे, सिटी स्कैन, तथा एमआरआई आदि। इन सभी टेस्ट में एक्स-रे एक ऐसा टेस्ट है जिसमे सबसे कम मात्रा में रेडिएशन निकलती है।
  2. शरीर के अन्दर पनप रहे किसी भी रोग का पता लगाने के लिए एक्स-रे एक बहुत अच्छा तरीका है। इससे स्पष्ठ हो जाता है कि रोगी का असल में समस्या क्या है।
  3. एक्स-रे करने की कीमत अन्य टेस्टों से कम ही होती है इसलिए कम आये वाले लोग भी इसे कराने में समर्थ होते है।
  4. कहा जाता है हड्डियों की चोट की जांच-परख के लिए एक्स –रे बहुत ही उपयोगी है।
  5. कैंसर आदि भयंकर रोगों क पहचानने में भी यह टेस्ट बेहद ही कारगर है।
  6. एक्स-रे की सभी अच्छी बात यह है कि इसे कराने में किसी भी पीड़ा का अनुभव नहीं होता।

एक्स-रे के प्रकार (Types of X-ray in Hindi)

एक्स रे तकनीक का अविष्कार करने वाले वैज्ञानिक विल्हेल्म कोनराड रंटजन ने पहली बात अपनी पत्नी के हाथ का एक्स रे किया था। रंटजन ने भी कभी नहीं सोचा होगा कि उनकी यह खोज स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लाने वाली है। आज एक्स रे का उपयोग पथरी से लेकर कैंसर जैसी घातक बिमारियो का पता लगाने के लिए किया जाता है।

अब एक्स रे सिर्फ एक प्रकार का नहीं है जैसे-जैसे तकनीक विकसित हुई वैसे-वैसे इसके कई रूप सामने आये है। आइये जानते है एक्स रे के भिभिन्न प्रकारों के बारे में –

1. हड्डियों का एक्स-रे (Bone x-ray in Hindi)

जैसे की नाम से ही स्पष्ठ होता है इस एक्स-रे को हड्डियों की जाँच-पड़ताल के लिए किया जाता है। इसे किसी भी अस्पताल के रेडियोलोजी विभाग में आप करा सकते है। इस प्रक्रिया में कोई दर्द नहीं होता लेकिन हड्डी का सही चित्र लेने के लिए शरीर को घुमाना पद सकता है जिसमे आप थोड़ा असहज महसूस कर सकते है। इस एक्स रे को कराने पर आपको कई समस्याओं के परिणाम जानने को मिल सकते है जैसे –

  • फ्रैक्चर या टूटी हुई हड्डी का इस एक्स रे में पता चलता है।
  • अस्थि ट्यूमर
  • मल्टीप्ल मायलोमा (यह एक तरह का रक्त कैंसर होता है जो हड्डी में मौजूद प्लाज्मा सेल्स में होता है)
  • सूखा रोग (Ricket) का पता एक्स-रे कराने से चला जाता है।
  • अस्थिमज्जा का प्रदाह (यह एक प्रकार की हड्डीयों की सूजन है जो एक संक्रमण के कारण होती है) जिसे अंग्रेजी में Osteomyelitis कहते है।
  • अस्थिजनन अपूर्णता (OI) (यहआनुवंशिक विकारों का एक समूह है जो मुख्य रूप से हड्डियों को प्रभावित करता है।)
  • अस्थिमृदुता जिसे Osteomalacia के नाम से जाना जाता है यह एक हड्डियो (अस्थियों) का रोग है जिसमे हड्डियाँ बहुत ही नाजुक हो जाती है जिनसे उनके टूटने का खतरा बना रहता है।

हमने ऊपर कुछ हड्डियों से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात की जिनकी एक्स-रे कराकर जाँच-पड़ताल की जा सकती है। ऐसी के अन्य अस्थियों से जुड़े रोग है जिन्हें हड्डियों का एक्स रे कराकर जाना जा सकता है।

2. छाती का एक्स-रे (Chest X-ray in Hindi)

छाती का एक्स-रे छाती, फेफड़े, हृदय, बड़ी धमनियों, पसलियों और डायाफ्राम का एक्स-रे होता है। इस एक्स रे की प्रक्रिया के दौरान मरीज को मशीन के सामने खड़ा होना पड़ता है तथा अपने स्वांस के कुछ सेकंड्स के लिए रोकना होता है। इस एक्स-रे को कराने पर आपको निम्न रोगों के परिणाम जानने को मिल सकते है –

  • फेफड़े का ट्यूमर
  • ट्यूबरकुलोसिस या क्षय रोग जिसे टीबी के नाम से भी जाना जाता है।
  • श्वासरोध (Atelectasis) का भी छाती का एक्स-रे करने से पता चल जाता है। यह एक ऐसी समस्या होती है जिसमे फेफड़ो की थैली ठीक प्रकार से नहीं फैलती।
  • दिल के आकार की समस्या तथा दिल की विफलता के साक्ष्य पता करने में।

ऐसी कई और बीमारियाँ या स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ है जिनका छाती का एक्स-रे करके पता लगाया जा सकता है।

3. पेट का एक्स-रे (Abdominal X-ray in Hindi)

पेट का एक्स-रे पेट में उपस्थित अंगो जैसे छोटी आंत, बड़ी आंत, यकृत, तिल्ली, पित्ताशय, अग्न्याशय, गर्भाशय, गुर्दा, तथा मूत्राशय आदि की जाँच करने के लिए किया जाता है। इस चिकित्सीय परिक्षण के दौरान आपको कमर के बल लेट जाना होता है ताकि आपके पेट के अंदुरनी हिस्से की ठीक से तस्वीर ली जा सके। इस एक्स-रे को कराने पर आपको निम्न रोगों के परिणाम मिलते है –

  • आंतों में रुकावट की जानकारी इस एक्स रे को कराने से मिलती है।
  • पेट या आंतों में छेद
  • पित्त पथरी
  • पेट के ऊतकों में घाव
  • पथरी

ऐसी ही कई अन्य समस्याएँ पेट का एक्स-रे कराने से पता की जा सकती है। यदि आपको भी पेट में कोई दिक्कत महसूस हो रही है तो आप यह एक्स-रे अवश्य करायें।

4. बेरियम एक्स-रे (Barium X-ray in Hindi)

बेरियम एक्स-रे जिसे बेरियम एनीमा के नाम से भी जाना जाता है यह के प्रकार का जठरांत्र संबंधी मार्ग (बड़ी आंत) का परिक्षण है। इस एक्स-रे में बड़ी आंत (जिसमे बृहदान्त्र और मलाशय शामिल है) में मलाशय द्वार से एक टयूब के सहारे बेरियम सल्फेट नामक तरल पदार्थ डाला जाता है। इस तरल पदार्थ की सहायता से बड़ी आँत के निश्चित क्षेत्रों की साफ़ तस्वीर ले सकते है।

बेरियम एनीमा कराने से आपको निम्न परिणाम प्राप्त होते है –

  • क्रोहन रोग के बारे में पता चलता है।
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस की जाँच बेरियम एनीमा से की जाती है।
  • पेट का कैंसर या बड़ी आंत के कैंसर की जाँच
  • कब्ज की जाँच के बारे में पता चलता है।
  • मल में खून आने की जाँच
  • दस्त की समस्या

उपरोक्त कुछ बड़ी आंत से सम्बन्धित समस्याएँ है जिनके बारे में बेरियम एक्स-रे या एनीमा करने से पता चल सकता है।

ध्यान दे – आजकल बड़ी आँत सम्बन्धी रोगों में डॉक्टर बेरियम एक्स-रे के स्थान पर कोलोनोस्कोपी करना अधिक पसंद करते है। क्योंकि कोलोनोस्कोपी से रोगी की आंत के अन्दर का पूरा हिस्सा कंप्यूटर की स्क्रीन पर एक विडियो की तरह देखा जा सकता है जो एक्स-रे से कई गुण बेहतर है।

5. जोड़ो का एक्स-रे (Joint X-ray in Hindi)

इस एक्स-रे को कंधे, टखने, कलाई, घुटने, कुल्हे तथा शरीर के अन्य जोड़ो की जाँच करने के लिये किया जाता है। जोड़ो का एक्स-रे कराने में भी अन्य टेस्ट की तरह कोई दर्द नहीं होता, बड़ी ही सावधानी से मरीज के जोड़ो की इमेज ली जाती है। इस टेस्ट से जोड़ो की कई समस्याओं के परिणाम प्राप्त हो सकते है जिनमे से कुछ निम्न है –

  • गठिया जिसे जोड़ो की सूजन के नाम से भी जाना जाता है।
  • अस्थि ट्यूमर का पता चलता है।
  • अपक्षयी हड्डी की स्थिति
  • संक्रमण से होने वाले Osteomyelitis नामक हड्डियों की सूजन का पता चलता है।
  • ऑस्टियो आर्थराइटिस (यह सबसे आम जोड़ो का विकार है जो उम्र बढ़ने के साथ जोड़ो के आपस में घर्षण के कारण होता है।)
  • रुमेटीइड आर्थराइटिस (यह एक ऐसा रोग है जिसके कारण जोड़ो एवं उसके आस-पास के उत्तक सूज जाते है। यह लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है जो शरीर के अन्य अंगो को भी प्रभावित कर सकती है)
  • फंगल गठिया (यह जोड़ो की सूजन तथा जलन है जो एक फंगल संक्रमण की बजह से होती है। इसे माइकोटिक अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है।)
  • यक्ष्मज संक्रमण द्वारा उत्पन्न जीर्ण संधिशोथ का पता चलता है।

ऐसी ही कई अन्य समस्याएँ है जिनके बारे में जोड़ो के एक्स-रे से स्पष्ठ रूप से पता चल जाता है।

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6. खोपड़ी का एक्स-रे (Skull X-ray in Hindi)

जैसे की नाम से ही पता चलता है इस टेस्ट में मस्तिष्क को चारों ओर से घेर रही हड्डियों, चहरे की अस्थियों, वायुविवर’ या साइनस एवं नाक आदि का एक्स-रे किया जाता है। इस टेस्ट को कई तरह के परिणामों के लिए किया जाता है जिनमे से कुछ नीचे उल्लेखित है –

  • मध्यकर्णशोथ (यह कान के मध्य में होने वाली सूजन व संक्रमण है जो कान के परदे के पीछे द्रव इकठ्ठा हो जाने के कारण होती है) का पता लगाने के लिए।
  • कर्णमूलशोथ का पता लगाने के लिए जिसे mastoiditis के नाम से भी जाना जाता है। (यह कान के अन्दर एवं कान के मध्य हिस्से के आसपास का मास्टॉयड वायु कोशिकाओं का जीवाणु संक्रमण है )
  • साइनस के संक्रमण के बारे में जानकारी मिलती है।
  • खोपड़ी के एक्स-रे से पिट्यूटरी ट्यूमर (यह हमारे मस्तिष्क में मौजूद पिट्यूटरी ग्रंथि में होने वाली असामन्य वृद्दि है) का पता चलता है।

खोपड़ी के एक्स-रे से हम ऐसे ही कई मस्तिष्क में होने वाले रोगों या समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है।

7. हाथ का एक्स-रे (Hand X-ray in Hindi)

जैसे ही इसके नाम से ही भली प्रकार से स्पष्ठ हो जाता है कि यह एक्स-रे हमारे दोनों हाथों का टेस्ट करने के काम आता है। इस परिक्षण के दौरान रोगी से उनके हाथ को एक्स-रे मेज पर रखने को बोला जाता है। इस एक्स रे को कराने से हाथ से जुड़ी निम्न सम्स्याओं का पता चलता है।

  • सबसे अधिक हाथ के एक्स-रे का उपयोग टूटी हड्डी को देखने के लिए किया जाता है।
  • हाथों की हड्डियों में होने वाले संक्रमण को जानने के लिए जिससे हड्डी में सूजन आ जाती है।
  • हड्डी में होने वाले ट्यूमर का पता चलता है।

इन एक्स-रे के आलावा भी कई और एक्स-रे है जो काम में लाये जाये जाते है बीमारियों के अनुसार ही टेस्ट का निर्धारण होता है। कुछ अन्य प्रचलित एक्स-रे है –

  • लुंबोसैक्रल स्पाइन एक्स-रे
  • श्रोणि एक्स-रे (Pelvis xray)
  • एक्स्ट्रेमिटी एक्स-रे
  • डेंटल एक्स-रे
  • गर्दन का एक्स-रे

एक्स-रे करने की प्रक्रिया (Procedure of X-ray in Hindi)

एक्स-रे करने का तरीका इस बात पर निर्भर करता है कि कौन-सा टेस्ट किया जा रहा है। अगर पेट का एक्स-रे किया जा रहा है तो मरीज जो कमर की तरफ से एक्स रे मेज पर लौटना होगा, जिसके बाद मशीन द्वारा किरणें पेट पर डाली जाएगी जो पेट की खाल से होती हुई अन्दर को पूरा चित्र मशीन पर स्पष्ठ रूप से प्रदर्शित कर देगी।

आपने जब कोई एक्स-रे देखा होगा तो एक बार पर अवश्य गौर किया होगा कि चित्र सफ़ेद रंग का आता है तथा फेफड़ो का आतंरिक हिस्सा काले रंग जैसा दिखाई देता है। ऐसा एक्स-रे मशीन से निकलने वाली किरणों या विकिरण के कारण होता है तथा फेफड़े के अन्दर जो कालापन दिखाई देता है वह फेफड़ो में उपलब्ध हवा होती है।

यदि किसी का हाथ का एक्स-रे हो रहा है तो उन्हें सिर्फ हाथ को मशीन में रखना होता है। खोपड़ी के एक्स-रे के दौरान रोगी को या तो मेज पर लिटाया जाता है या फिर कुर्सी पर बिठा कर एक्स-रे को भली-भांति अंजाम दिया जाता है।

इस प्रक्रिया को करने से पहले आपको डॉक्टर ज्वेलरी आदि आभूषण को उतारने के लिए बोल सकता है। किसी एक्स-रे को पूरा होने में कुछ ही मिनटों का समय लगता है।

एक्स-रे कराने से पहले तथा दौरान सावधानियाँ (Precautions of X-ray in Hindi)

हम में कुछ लोग ऐसे अवश्य होंगे जिन्होंने कभी न कभी एक्स-रे कराया होगा। इस परिक्षण की प्रक्रिया तो बिल्कुल ही आसान होती है लेकिन इसे कराने से पहले तथा कराने के दौरान कुछ सावधानियाँ जरूर बरतनी चाहिए। आइये जानते है एक्स रे कराने से पहले व दौरान बरतने वाली सावधानियों के बारे में –

  • एक्स-रे की प्रक्रिया शुरू करने से पहले डॉक्टर आपको अपने आभूषण तथा जूते आदि वस्तुए उतारने के लिए कह सकते है।
  • यदि रोगी एक्स-रे कराने के लिए ढीले कपड़े पहनकर जाता है तो यह बेहतर होता है। क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान कई बार डॉक्टर मरीज के शरीर की भिभिन्न तरीके से चित्र लेते है। ढीले एवं आरामदायक कपड़े पहनने से घूमने, एवं लेटने में आसानी होती है।
  • यदि आपके पेट का एक्स-रे हो रहा है तो यह अच्छा होगा की आप कुछ न खाए या काम खाएं। पेट के अन्दर भोजन ना होने की बजह से या कम होने की बजह से तस्वीर बिल्कुल साफ आती है।
  • कभी-कभी चिकित्सक मरीज को अन्दर से शरीर की सफाई करने के लिए बेरियम या आयोडीन से बने तरल पदार्थ पीने की सलाह दे सकते है, इन पदार्थो से कुछ देर के लिए जी मचलाना या चक्कर आना आदि समस्या हो सकती है। यदि आपको ऐसा प्रतीत होता है तो आपने चिकित्सक से तुरंत बताये।
  • यदि फेफड़ो का एक्स-रे किया जा रहा है तो आपको डॉक्टर उस समय कुछ देर के लिए साँस रोकने के लिए कह सकते है ऐसा करने से फेफड़ो की तस्वीरे बेहद साफ़ नजर आती है।
  • इस प्रक्रिया के दौरान हो सके तो कम से कम हिले, इस से डॉक्टर के लिए कार्य करना बहुत शुगम हो जाता है।
  • एक्स-रे करने में मुश्किल से कुछ मिनट का वक्त लगता है। इसके बाद डॉक्टर रोगी को कुछ समय आराम करने के लिए बोल सकते है।
  • अधिकतर एक्स-रे की रिपोर्ट उसी दिन या फिर १-२ दिनों के भीतर मिल जाती है।

ये कुछ सावधानियाँ एवं महत्वपूर्ण बाते थी जिन्हें मरीज को गंभीरतापूर्वक अवश्य लेना चाहिए।

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एक्स रे कराने के खतरे (Risk of X-ray in Hindi)

जब मरीज को अपने मर्ज के बारे में पता करना होता है तो उसके पास सेहत से जुड़े परिक्षण कराने के आलावा कोई और चारा नहीं होता। इन्ही कुछ महत्वपूर्ण परीक्षणों में से एक है एक्स –रे। रोगी के लिए एक्स-रे कराना एक मजबूरी होती लेकिन इसके कुछ खतरे भी है जिस बजह से इसे अधिक नहीं कराना चाहिए।

  • जैसे की आप जानते ही है एक्स-रे करने पर एक विकिरण (रेडिएशन) निकलती है जिसकी अधिक मात्रा में संपर्क में आना दुष्प्रभावी हो सकता है।
  • इसलिए कहा जाता है कि एक्स-रे या एमआरआई जैसे टेस्ट को बहुत अधिक जरूरी होने पर ही कराये।
  • एक्स रे के दौरान जो विकिरण निकलती है वह कैंसर जैसे रोग उत्पन्न कर सकती है लेकिन ऐसा होना तभी संभव जब आप कुछ समय के भीतर ही बहुत अधिक मात्रा में इसे कराते है। वर्ष में एक या दो बार एक्स-रे कराने से स्वास्थ्य पर कोई नकारत्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
  • गर्भवती औरत को एक्स-रे कराने से बचना चाहिए। क्योंकि अजन्मे शिशु पर टेस्ट के दौरान निकली रेडिएशन का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • यही कारण है कि चिकित्सक छोटे बच्चों का एक्स-रे कराने की सलाह बहुत की कम देते है।

एक्स-रे कराने की कीमत (Price of X-ray in Hindi)

एक्स-रे कराने की कीमत हर स्थान पर अलग-अलग हो सकती है। जहाँ बड़े शहरों जैसे दिल्ली, कोलकत्ता, मुम्बई तथा चेन्नई आदि में कीमत 500 से 1000 रूपये तक हो सकती है वही छोटे शहरों में एक एक्स-रे करने की कीमत 300 से 1000 रूपये तक जा सकती है।

कभी-कभी एक्स-रे की कीमत इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप कौन-सा टेस्ट करा रहे है। मान लो एक रोगी हाथ का एक्स-रे करा रहा है तो उसकी कीमत उस मरीज से अलग हो सकती है जो खोपड़ी का एक्स-रे करा रहा है।

यदि आप कम से कम कीमत पर एक्स-रे कराना चाहते है तो एक सरकारी अस्पताल में जाए क्योंकि निजी अस्पतालों में ऐसे टेस्ट का मूल्य अधिक होता है।

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एक्स रे कैसे देखा जाता है?

जब हम किसी भी अस्पताल में एक्स-रे कराते है तो वहाँ उपस्थित डॉक्टर हमे इसके क्या परिणाम आये है उसके बारे में जानकरी देते है। फेफड़ो में सफ़ेद धब्बा दिखना एक संकेत होता है ठीक वैसे ही फेफड़ो के पालियो वाले भाग में सफ़ेद दाग दिखाई देना टीबी जैसी बीमारी का संकेत हो सकता है।

कभी भी स्वयं से एक्स-रे देखने का प्रयतन ना करे, एक बहुत ही काबिल डॉक्टर को दिखाए एवं उसकी सलाह के अनुरूप ही अपना इलाज कराये। कोई भी इन्सान जिसने मेडिकल क्षेत्र की पढाई नहीं की है वह एक्स-रे जैसे किसी भी टेस्ट का परिणाम सही नहीं बता सकता इसलिए अपने स्वास्थ्य के प्रति संजीदा रहे एवं डॉक्टर से सलाह ले।

FAQ (एक्स-रे के बारे में पूछे जाने वाले सवाल-जबाब)

सवाल – एक्स रे को हिंदी में क्या बोलते हैं?

जबाब – एक्स-रे (X-ray) जिसमे X का मतलब होता है अज्ञात तथा Ray का मतलब है विकिरण (Radiation) या किरणें. अत: एक्स-रे को हिंदी में अज्ञात किरणें कह सकते है।

सवाल – एक्स रे का अविष्कार कब हुआ था?

जबाब – एक्स रे का अविष्कार जर्मनी के वैज्ञानिक विल्हेल्म कोनराड रंटजन द्वारा 8 नवम्बर 1895 को किया गया था।

सवाल – एक्स रे मशीन कितने की आती है?

जबाब – किसी भी एक्स-रे मशीन की कीमत उसकी गुणवत्ता पर निर्भर करती है. एक अच्छी गुणवत्ता वाली एक्स-रे मशीन की कीमत लगभग 5 लाख रूपये हो सकती है।

आज हमने क्या जाना?

आज हमने X ray in Hindi के इस आर्टिकल में एक्स-रे क्या है (X ray Kya Hai), Types of X ray in Hindi, एक्स-रे करने का तरीका, एक्स-रे कराने की कीमत (Price of x ray in Hindi) आदि के बारे में विस्तार से जाना। उम्मीद है आपको एक्स-रे के बारे में यह पोस्ट बेहद पसंद आई होगी।

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