आमेर किले के 21 रोचक तथ्य व छुपे रहस्य | Facts and History About Amber Fort in Hindi

आमेर का किला (Amber Fort in Hindi) आंबेर के किले के दिलचस्प तथ्य तथा रहस्य (Amer Fort Interesting Facts, History and Secrets in Hindi)

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आमेर किला – Amber Fort in Hindi

यदि आप कभी राजस्थान गए है तो जयपुर भी अवश्य ही घूमे होंगे। जयपुर राजा-महाराजो का शहर रहा है। यहाँ पर बने अत्यंत सुन्दर व विशाल महलों को देखने पुरे संसार से पर्यटक आते है। जयपुर गए तथा कई दुर्ग या किले घूमे लेकिन आमेर किले को घूमना भूल गए तो आप सच में एक बेहतरीन इंजीनियरिंग का नमूना देखने से वंचित रह गए। कई बार तो सिर्फ आमेर के किले को देखने लोग जयपुर आते है। आइये जानते है आमेर के किले का इतिहास एवं इस किले से जुड़े कुछ रहस्य व रोचक तथ्य।

आमेर किले का इतिहास (History of Amer or Amber Fort in Hindi)

आमेर का किला या आंबेर के किले का निर्माण मीणा राजवंशी राजा एलान सिंह द्वारा 967 AD में कराया गया था। बाद में उस समय के महल के अवशेष पर ही 1592 में राजा मान सिंह द्वारा आज के आमेर किले का निर्माण करवाया गया था। इस किले को पूरा होने में लगभग 25 वर्षो का समय लगा था। आमेर का किला राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के निकट आमेर क्षेत्र में बना है।

आंबेर या आमेर के किले का नाम चीले के टीले नामक पहाड़ी पर बने अम्बिकेश्वर मंदिर के करना पड़ा है। इस मन्दिर को अम्बिकेश्वर नाम भगवान शिव के अम्बिका दुर्गा नामक रूप के कारण मिला। यहाँ के स्थानीय लोगो के अनुसार माता दुर्गा के पर्यावाची अम्बा के कारण ही इस मंदिर को अम्बिकेश्वर नाम से पुकारा जाता है एवं इसी नाम पर राजा ने महल का नाम आंबेर रखा।

इस किले के नाम के पूछे कई इतिहासकारों एवं लोगो के भिन्न-भिन्न मत है। कुछ लोगों का यह भी मानना है की अयोध्या के इश्वाकु वंश के राजा विष्णु भगवान के भक्त अम्बरीष के नाम पर आंबेर किले का नाम रखा गया। कहा जाता है अम्बरीष ने अपनी प्रजा के लोगों के लिए अपने राज्य के भंडार खोल रखे थे, उनके काल में सब लोग सुखी थे।

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आमेर के राजाओं का इतिहास (History of Amber’s Kings)

कुछ इतिहासकारों के अनुसार ऐसा कहा जता है कि जहाँ अभी आमेर क्षेत्र है पहले इसे स्थान को खोगोंग के नाम से जाना जाता था। राजा एलान सिंह जिन्हें राजा रलुन सिंह भी कहा जाता है तब उनका यहाँ शासन हुआ करता था। मीणा वंश के राजा एलान सिंह ने 967 ई० में आमेर की स्थापना की तब ही से इसे आमेर के नाम से जाना जाता है।

राजा एलान के बाद कई राजाओं जैसे पन्ना मीणा, कांकिल देव, राजा मान सिंह प्रथम, जय सिंह प्रथम द्वारा यहाँ पर राज किया गया। राजा कांकिल देव ने 1036 ई० में आमेर को अपनी राजधानी बना लिया तभी से यहाँ पर महलों आदि के बनने की शुरुआत हुई। आमेर पर राजाओ द्वारा बहुत ध्यान दिया जाता था जब तक सबाई जय सिंह द्वितीय ने अपनी राजधानी आंबेर से जयपुर स्थान्तरित कर ली।

आंबेर किले के रोचक तथ्य (Interesting Facts About Amber Fort in Hindi)

आंबेर का किला खुद में एक विस्तृत इतिहास समेटे है उसी तरह इसके साथ कई आश्चर्यजनक तथ्य जुड़े है। जो लोग आमेर के इस किले को घूमने जाते है वो पर्यटक स्वंय विश्वास नहीं कर पाते कि उस समय भी भवनों के निर्माण करने की इस तरह की इंजीनियरिंग रही होगी। आइये जानते है आमेर के किले से जुड़े कुछ रहस्य एवं रोचक तथ्य –

  • आमेर किले की छतो में कई स्थानों पर सोने के पानी से पेंट किया गया है जिस बजह से यहाँ की छते थोड़ी सी रौशनी पड़ने पर भी चमकती है।
  • जब हम जलेबी चौक से आंबेर के किले में प्रस्थान करते है तो वहाँ एक मंदिर बना है जिसे शिला देवी के मंदिर के रूप में जाना जाता है। यहाँ पर १९८० तक राजाओं द्वारा पूजन किया जाता था। इसी समय तक यहाँ भैंसे की बलि दी जाती थी जिस प्रथा पर बाद में रोक लगा दी गयी।
  • जब राजा एवं अन्य प्रमुख लोग महल में प्रवेश करते थे तो उनके स्वागत में ढोल बजाये जाते थे। आज भी वे ढोल आंबेर के किले में रखे है जिन्हें स्वागत ढोल कहा जाता है। आप यहाँ आकर इन ढोलो को देख सकते है।
  • महल में स्थित दीवान-ए-आम एक ऐसी जगह है जहाँ पर जनसाधारण लोगो का दरबार लगा करता था। यहाँ पर राजा प्रजा के लोगो की समस्या सुनकर उनका निवारण किया करते थे। दीवान-ए-आम कई स्तंभो से मिलकर बना है जो लाल बलुआ पत्थरों एवं संगमरमर से बने है। इन स्तंभो पर शीर्ष पर हाथी एवं नीचे कमल की आक्रति बनी है।
  • दीवान-ए-खास का निर्माण राज्य के प्रमुख लोगो के विश्राम के लिया कराया गया था। इस महल की छतो तथा दीवारों पर शीशे लगे है जिन शीशो को बेल्जियम से मंगाया गया था। इस महल को सर्द महल भी कहा जाता है क्योंकि सर्दियो में लैंप की रौशनी द्वारा छतो एवं दीवारों पर लगे शीशो को गर्म किया जाता था जिससे पूरा कक्ष गर्म हो जाता था।
  • 17 वी शताब्दी में सवाई जय सिंह द्वितीय ने यहाँ केशर की खेती करने की कोशिश की थी। लेकिन केशर यहाँ नहीं उग पाया क्योंकि केशर को उगने के लिए ठण्ड चाहिए जबकि राजस्थान एक गर्म क्षेत्र है।
  • शीश महल – इस महल के मुख्य दरवाजे पर गणेश जी की प्रतिमा बनी है जहाँ पर तीन दरवाजे है। इन दरवाजो से रानियाँ युद्ध से लौट रहे राजा को देखा करती थी। इस महल के उपरी भाग को सुहाग मंदिर कहा जाता था क्योंकि यहाँ केवल विवाहित महिलाएँ बैठ सकती थी।
  • आपको आंबेर दुर्ग में एक मुग़ल स्टाइल की चिमनी भी देखने को मिलेगी जिसका उपयोग पानी गर्म करने में किया जाता था। उस समय जल को गर्म करने का तरीका अद्भुत था, लकड़ियाँ जलाकर कॉपर की प्लेट को गर्म किया जाता था जिससे टैंक में रखा पानी गर्म हो जाया करता था।
  • इस महल में 99 शौचालय है और सभी को एक ही तरह से बनाया गया है।
  • यहाँ पर आपको एक तुर्की कला का स्नानगृह भी देखने को मिल जाएगा।
  • पहले रानियाँ इतने गहने एवं कपड़े पहना करती थी कि उन्हें पहनकर पुरे महल को घूमना बहुत मुश्किल था। रानी के महल घूमने के लिए व्हीलचेयर बनायीं गयी थी जिसमे बैठकर रानी पुरे महल का चक्कर लगाया करती थी। यह व्हीलचेयर आज भी महल में मौजूद है, जिसे पर्यटक देख सकते है।
  • आमेर किले में दीवार पर एक ऐसा फूल बना है जिसमे जानवरों व पक्षियों को मिलाकर कुल 9 आक्रतियाँ बनी हुई है। यह आक्रतियाँ है – दो साँप, बिच्छू, हाथी, खरगोश, केकड़ा, मछली, मधुमक्खी तथा तितली।
  • किले में एक ठंडा कक्ष (AC Room) भी बनाया गया था जिसमे पानी के द्वारा खिड़कियों को ठंडा किया जाता था। और उसी से पूरा कक्ष भी ठंडा रहता था, ठण्ड को अन्दर ही रोके रखने के लिए खिड़कियों पर खस-खस घास लगा देते थे जिससे ठंडी हवा बाहर नहीं जाती थी।

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  • मान सिंह महल – किले के अन्दर बने इस महल में राजा की 12 रानीयों के लिए 12 कक्ष बने थे जिनका निर्माण राजा मानसिंह द्वारा 25 वर्षो में 1589 से 1614 तक करवाया गया था। यह आमेर के किले का सबसे पुराना हिस्सा भी है।
  • खुफिया रास्ता – राजा मानसिंह के कमरे से 12 रानियों के कमरे तक एक गुप्त रास्ता जाता था। ताकि किसी भी रानी को पता न चल सके कि राजा आज कौन सी रानी के साथ है।
  • मान सिंह महल के सभी नौकर व रक्षक ट्रांसजेंडर (ना ही पुरुष और ना ही स्त्री) हुआ करते थे।
  • रानी का झूला – महल की रानियों के लिए झूला भी लगाया जाता था। जो छत में लगे 4 कुंदो में अटका रहता था। इन कुंदो के बीच में कई दर्पण भी लगे थे जिनमे रानियाँ झूलते हुए अपना चेहरा भी देख सकती थी।
  • इस किले में आपको एक ऐसी दुकान देखने को मिल जाएगी जहाँ पर आपको इस समय के सिक्के भी देखने को मिल जायेंगे जिन्हें आप खरीद भी सकते है।
  • सन 1975 तक यहाँ नवरात्री के त्यौहार पर मंदिर के आगे भैंसे एवं बकरों की बलि दी जाती थी जिस पर 1975 सरकार द्वारा रोक लगा दी गयी। इस बलि को देखने राजसी परिवार तथा विशाल जनसमूह उमड़ता था। बाद में राजसी परिवार के संरक्षण में गुप्त रूप से यह बलि दी जाने लगी, बाद में इस पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गयी। अब देवी माता को केवल शाकाहारी खाने की ही भेंट दी जाती है।
  • बॉलीवुड की कई फिल्म जैसे बाजीराव मस्तानी, मुगले आजम, जोधा अकबर, भूल भुलैया आदि की शूटिंग यहाँ की गयी है।
  • आमेर किले में हॉलीवुड फिल्म नार्थ वेस्ट फ्रंटियर एवं द बेस्ट एग्ज़ॉटिक मॅरिगोल्ड होटल आदि पिक्चरो की भी शूटिंग की गयी हैं।

हम आशा करते है हमारे द्वारा बताये गए आमेर के किले के बारे में 21 दिलचस्प तथ्य आपको जरूर पसंद आये होंगे। आइये जानते है हम आंबेर किले तक कैसे पहुँच सकते है.

आमेर किला कैसे पहुंचे? (How to Reach Amber/Amer)

आमेर या आंबेर दुर्ग तक जाना बहुत ही आसान है आप वायु मार्ग, सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग तीनों प्रकार से यहाँ पहुँच सकते है। चूँकि आमेर किला जयपुर में ही स्थित है (जयपुर के केंद्र से महज 11 किमी० दूर है) इसलिए हमे देश या दुनिया के किसी भी कोने से जयपुर पहुँचना है।

i. सड़क मार्ग द्वारा

जयपुर शहर सड़क द्वारा देश के कई नगरो से जुड़ा है। यहाँ आप आगरा, दिल्ली, उदयपुर, अहमदाबाद, व अजमेर आदि शहरों से राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसे लेकर पहुँच सकते है। देश का कोई भी बड़ा नगर हो आपको वहां से राजस्थान के जयपुर के लिए बसे अवश्य मिल जाएगी। जयपुर बस स्टेशन पहुँचकर आप टैक्सी या लोकल बसों से आमेर दुर्ग तक पहुँच सकते है।

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ii. वायु मार्ग द्वारा

जयपुर नगर का हवाई अड्डा सवाई मानसिंह देश के बड़े-बड़े नगरो से जुड़ा है। आप अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई, आगरा आदि शहरो से यहाँ के लिए सीधी बसे ले सकते है। हवाई अड्डा पहुंचकर सरलता से आंबेर किला पहुँचा जा सकता है।

iii. रेल मार्ग द्वारा

जयपुर शहर में पाँच बड़े रेलवे स्टेशन है जो भिभिन्न शहरो से जुड़े है। आप शताब्दी, दुरंतो, गरीबरथ, राजधानी आदि रेलगाड़ियाँ लेकर जयपुर जंक्शन, जगतपुरा, दुर्गापुर, गांधीनगर एवं गेटोर आदि रेलवे स्टेशन पहुँच सकते है। रेलवे स्टेशन से शहर के हर कोने तक पहुँचने के लिए संसाधन भरपूर मात्रा में उपलब्ध है।

FAQ (आमेर से सम्बन्धित सवाल-जबाब)

सवाल – आमेर के किले का निर्माण कब हुआ?

जबाब – आमेर या आंबेर के किले का निर्माण 967 AD में मीणा राजा एलान सिंह द्वारा कराया गया था। उसी महल के अवशेष पर 1592 में अब के आमेर किले का निर्माण करवाया गया था।

सवाल – आमेर का किला किसने बनवाया?

जबाब – आमेर के किले का निर्माण राजा मान सिंह प्रथम द्वारा कराया गया था बाद में इसमें सवाई जय सिंह द्वारा कई निर्माण एवं सुधार कराये गए।

सवाल – आमेर का किला कहां स्थित है?

जबाब – आमेर का किला राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के आमेर क्षेत्र में ऊँची पहाड़ी पर स्थित एक पर्वतीय किला है।

आज हमने क्या जाना?

आज हमने आमेर (आंबेर) किले (Amber Fort in Hindi) के कुछ दिलचस्प तथ्य एवं रहस्यों के बारे में जाना। हम आशा करते है आपको Amber Fort Facts in Hindi का यह लेख अवश्य पसंद आया होगा। यदि आप का जयपुर जाने की कोई योजना है तो आमेर के किले को देखना न भूलना आप निश्चित ही आनंदित महसूस करोगे।

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